सोमवार, जुलाई 07, 2014

गुड्डा  एक साल का 


अभी तलक था छोटा बच्चा 
लेकिन अब नहिं  छोटा  है,
आज हुआ है  एक साल का   
बाबा  का   ये   बच्चा   है | 

सुन्दर- सुन्दर  गोरा-गोरा
दुदू   पीता   एक  कटोरा,
सब  कहते  हैं  मोरा-मोरा
लेकिन  बाबा  का  है छोरा |
                                                             
                                              अम्मा  कहती  राधे  रानी
मम्मा   कहती   कुहू-कुहू
दीदी   कहती   किट्टू-किट्टू
  बाबा   का   ये   गुड्डा   है | 

'काम्या' नाम दिया गुरुजी ने
उनकी   आँखों    का    तारा,
परसादी    में    टॉफी    देते
कहते   घर  का   उजियारा |

रविवार, जनवरी 01, 2012

नव वर्ष की शुभ- कामनाएं


 


स्वागत हो तेरा सन बारह

सन ग्यारह ने ,

अज़ब गज़ब का खेल दिखाया ,

इसने खाया -उसने खाया ,

मिलकर सबने जमकर खाया |

लाख बिठाये पहरे पीछे ,

निकलकर कुछ भी बाहर न आया |

बाहर गाली देते दीखे ,

पीछे सबने हाथ मिलाया |

इधर कलह और उधर ज़िरह

स्वागत हो तेरा सन बारह .......

स्वागत हो तेरा सन बारह .......


काले धन का दानव छाया ,

बाबा ने है योग कराया ,

सरकारी सांडों ने पीछे से ,

सीबीआई का भूत लगाया |

नंग बड़ा परमेश्वर से ,

भूत को प्राणायाम कराया ,

सीबीआई वापस भागी ,

बिन आश्रम को किये फ़तह

स्वागत हो तेरा सन बारह ......

स्वागत हो तेरा सन बारह ......


किसी तरह मैटर निपटा था ,

सहसा निकला दूसरा जिन्न

लेकिन था बाबा से भिन्न ....|

देश गा रहा था बन्ना,

महाराष्ट्र से निकला अन्ना ,

उसे देख नेता गए भन्ना ..|

मंत्री डाक्टर निकले बच्चा ,

अन्ना केस में खा गए गच्चा..|

बाबा बाली दी दबाई ,

अन्ना पर वो काम आई |

इधर कुंआं था ,

उधर थी खाई |

फ़तह दिला गया सत्याग्रह ......

स्वागत हो तेरा सन बारह ......

स्वागत हो तेरा सन बारह .......|


बूटीनाथ जी हमसे बोले --

नयी साल में क्या करोगे ........?

किस होटल में हमें मिलोगे .........?

एक ठहाका लगा के सहसा ,

हम कुछ ऐसे उनसे बोले ......


नयी साल के पहले दिन

सुबह -सुबह ,

गुरु दर्शन को हम जायेंगे ,

ठाकुरजी को ,शीश नवाकर

प्रभु -कृपा हम पाएंगे ..|

मात -पिता का बंदन होगा ,

बड़े बुजुर्गों का अभिनन्दन होगा ,

बच्चों के सुन्दर माथे पर ,

गुरु नाम का चन्दन होगा ...|

देश पे जिसने आँख उठाई ,

हाथ में चक्र सुदर्शन होगा |

देश समाज खुशहाल रहें ,

यही हमारा चिंतन होगा ...|

गुरु चरणों का चरनामृत पीकर ,

कष्ट होंगे नों-दो -ग्यारह ....

स्वागत हो तेरा सन बारह ..... !

स्वागत हो तेरा सन बारह .......!

गुरुवार, जून 16, 2011

सत्याग्रह का एनकाउंटर

                               
                                                                                                                     
                                               सत्याग्रह का एनकाउंटर 

                     हाय ..हाय ...हाय ....हाय .....! देखो तो ज़रा !कितना घोर कलियुग आ गया है ,एक अदना सा आदमी भी सरकारों पर छींटा-कशी करने से नहीं चूक रहा, सरकार वो भी केंद्र की , यानीकि सरकारों कि सरकार | एक ज़मीं का आदमी राजा को ऊँगली दिखा रहा है उसे देख लेने की धमकी दे रहा है |

                    हिम्मत तो देखो जरा ! राजा के महल के सामने तख्त बिछाया और सो गया वो भी ओढ़कर | |सोने से पहले ऐलान कर दिया -मैं जो कह रहा हूँ उसे मानलो यदि नहीं माना तो तेरी चौखट पर सर पटक -पटक कर मर जाऊंगा ! राजा ! तू बहुत अत्याचारी है ,भ्रष्टाचारी है -शायद मुझे जानता नहीं ,मैं गाँधी बाबा का रिलेटिव हूँ उन्होंने मुझे ही सत्याग्रह की डाईरेक्ट ट्रेनिंग दी थी हिला कर रख दूंगा तेरा इन्द्रासन ! क्या समझे मनमोहना मन्ना , मेरा नाम है  अन्ना  |

                     ये था सरकार का सत्याग्रह से पहला एनकाउंटर ! सरकार धरासायी उधर जूस पी कर टन्ना  गए अन्ना भाई | खूब हुई चाई-माई | सरकार होश में आई भी न थी कि एक बाबा ने सत्याग्रह का ऐलान कर दिया | महल कि चौखट - मैदान -बरामदे ठीक से झडे-पुछे भी न थे कि बाबा ने गाढ़ दिया अपना तम्बू |
                      
                     दूध का जला छाछ को फूंक-फूंक कर पीता है ,सो इस बार सरकार ने कूटनीतिक तरीके से होमवर्क किया पहले खूब आव भगत कि बाबा की फाइव-स्टारी खिचड़ी से लेकर दाल-बाटी तक जमकर खिलाई सब ने मिलकर बड़ी मोहब्बत से समझाया कि ये सत्याग्रह -फत्याग्रह छोडो ,तुम तो अनुलोम -विलोम -कपालभाती से अपना नाता जोड़ो | ना अपना ना हमारा सर फोड़ो |

                              जब ना गली दाल तो अर्धरात्रि में हो गया बबाल | सरकारी मुस्टंडों ने बाबा के तम्बुओं में से निकाल कर बम्बू मचा दिया भग्गी -आसन | लोकतन्त्रों के अहिंसक मन्त्रों से कराह उठा सत्याग्रह का आँगन |

                 मेरी समझ में एक बात नहीं आती कि बेचारी केंद्र की  सरकार का आखिर कसूर क्या है ?वह बेचारी किसी से कुछ कह नहीं रही ,जो मन में आये सो करो खुली छूट है हर किसी को |
काला करो -पीला करो ,मजाल है कि वह आपको जरा भी टोके , तिस पर भी वह रात-दिन विकास के कार्यों में जुटी पड़ी है | महंगाई -विकास दर आसमान छू रहीं है ,और बोलो तुम्हें क्या चाहिए ?

                   अरे ! मूर्ख- जनते....! ये अन्ना -मन्ना ,बाबा, और विपक्षी लोग जिसे भ्रस्टाचार-काला धन बता रहे हैं वो कोई काला -फाला नहीं है ,ये तो सरकार के काम करने का  स्टाइल है | हमारी शैली है | अरे ! बाबलो !लक्ष्मी -मैया कभी काली होती है ....? बोलो... ! चुप क्यों हो ....? धन को काला बता कर ये साम्प्रदायिक लोग व तथाकथित पार्टियाँ हमारे देवी -देवताओं का अपमान कर रहे हैं |
           
                    मैं तो दूसरी बात कहता हूँ -चलो ! संत्री -मंत्री भ्रष्टाचार कर रहें हैं , विदेशों में काला धन भेज रहे हैं लेकिन मित्रो ! तुम्हें किसने रोका हैं तुम भी करो अपने स्तर पर भ्रष्टाचार | मजाल है , कोई तुम्हारी तरफ आँख भी उठा जाये मूर्खो ! यदि तुम अपने काले धन की सुरक्षा नहीं कर पा रहे हो ,उसे विदेशों में नहीं भिजवा पा रहे हो तो हमें बतलाओ आखिर हम कब काम आयेंगे ? आपके प्रतिनिधि हैं | हमारे विशेष मंत्री आपके काले धन को सही जगह ठिकाने लगा देंगे |

                      अरे ....! ओ ....! साम्भा ! ये तो सरासर नाइंसाफी है रे ....! ना तो खुद कर पा रहे हैं और ना हमें ही करने दे रहे है | राह में रोड़े पर रोड़े पटक रहे हैं |ये तो कानून के सरासर खिलाफ है | हमने संसद में शपथ ली है ,कोई भी हो कानून को हाथों में नहीं लेने देंगे याद रखना ,जब तक हम सत्ता में है ,कानून हमारे ही हाथों में रहेगा | हम रामलीला मैदान से घोषणा करते हैं कि जब तक हम भष्टाचार को राष्ट्रीय शिष्टाचार नहीं बना देते ,तब तक हम सत्ता कतई नहीं छोड़ेंगे ....| चाहे  कोई कितने सत्याग्रह -फत्याग्रह करले .........!  समझे .......!



                                                                                                     डा .राकेश शरद






               

सोमवार, जून 06, 2011

सरकारी ढाबा और बाबा

सरकारी ढाबा और बाबा


                                               इस बेचारी सरकार की, तिस पर भी केंद्र सरकार की बड़ी आफत है | बेचारी करे तो क्या करे | जो आता है वो ही दहाड़ता चला आता है | तरह-तरह की धमकियाँ देता है, अल्टीमेटम देता है| इधर राज्य सरकारें भी कम नहीं | हमारी ये-ये मांगें हैं - पूरा करो | इतना बजट दो और ना जाने क्या-क्या |
                                 सोचो ! इस प्रजातंत्र के नाम पर एक राजा को धमकियाँ ! एक बिल्कुल ज़मीनी आदमी अन्ना आ बैठा भूखा मरने को राजा की चौखट पर | ये करो ...वो करो... वरना... में तो मरा भूखा | किसी तरह से राजा-रानी ने अपने अति-धूर्त वार्ताकारों को उस भूखे को पटाने भेजा | उन्होंने येन-केन प्रकारेण झूट-सच बोलकर उसे खाने-पीने पर राजी किया |
                                 सरकार ने चैन की सांस भी ना ली थी कि इस बार एक बाबा लगा दहाड़ने | पहुँच गया...बाबा-लोगों की टोली लेकर | तख्त बिछाया और करने लगा अनुलोम-विलोम | कराने लगा सुबह-ही सुबह राजा-रानी, सिपह-सालारों को कपालभाती |
                                
अनुलोम-विलोम व कपालभाती से सरकार को कोई आपत्ति नहीं थी, लेकिन जब फूंक छोड़ते-छोड़ते वो काले धन व भ्रष्टाचार विरोधी आंधी में बदलने लगी तो राजा का सिंहासन डोलने लगा | सरकारी महल के बरामदों में षड्यंत्रों की खिचड़ी पकने लगी | विषाक्त वक्तब्यों के घृत के छोंक लगने लगे | सरकारी मुस्टंडे अपने-अपने दण्डों को तेल पिलाने लगे | पुलसिया रथों को ईंट-पत्थरों से भरने लगे |
                                 अचानक अर्ध रात्री को समस्त सरकारी अमला साधू-सन्यासियों पर भूखों की तरह टूट पड़ा | राजे-महाराजे व रानी...बराक ओबामा की तरह अपने-अपने टीवी सेटों पर "ऑपरेशन-बाबा" देख रहे थे | सुना है उन्हें भी बाबा चाहिए था..वो भी मृत | लेकिन बाबा अपनी योग-शक्ति से अदृश्य हो गया |
                                 निहत्थे सत्याग्रहियों पर आंसू-गोले, डंडे-ईंट चला कर सरकार ने दिल्ली के सत्याग्रह-स्थल को जलियाँ वाला बाग़ में बदल दिया | और फिर राष्ट्रीय मीडिया पट्ट पर प्रकट हुए भारत सरकार के अंतर्राष्ट्रीय-दिग्दिशाओं को जीतने वाले अनेकों झूठावतार-भ्रष्टातार और करने लगे अपने दिग्विजयी असत्य तप का प्रचार |
                                 जिसे देखो वो ही सरकार को कोस रहा है, लेकिन मुझे इसमें कहीं भी खोट नज़र नहीं आ रहा | सरकार को देश चलना है | गरीब मंत्रियों-अफसरों को अमीर बनाना है | अपने पुराने मित्रों का धन विदेशी बैंकों में बचाना है | इस गरीब जनता को महंगाई के दलदल में तैरना सिखाना है |
                                 वो तो प्रभु की कृपा कहिये कि षड़यंत्र के सहारे ही सही, वो इस बाबा के चक्कर से निकल आई....वरना ये बाबा !! सभी दुष्टों को... भ्रष्टों को... नि
कृष्टों को.. ह्रष्ट-पुष्टों को फांसी पर लटकवा कर ही मानता........!!!!!!!