बुधवार, अप्रैल 28, 2010

भ्रस्टाचार एक आभूषण

गाँधी की  धरती  पर बैठ  कर इतनी  ईमानदारी  ऐसी  बात नहीं  कि सरकार केतन देसाई  साहब को नहीं  जानती थी |
जानती  तो थी लेकिन उसकी निगाह में  इतना ईमानदार  बेईमान  अफसर  और कोई नहीं  दिखा ,जो बईमानी के पैसे
को इतनी ईमानदारी से बन्दर -बाँट  कर सके  ........|

सोमवार, अप्रैल 19, 2010

दोहे ---बड़े लोग

मनुआ   या  संसार  में  , भांति -भांति  के   लोग ,
वो   ही  नर  सबसे  बड़ा , जिसको  ज्यादा  रोग  |

बिना  नमक  भोजन  करें, बिन   चीनी  की  चाय ,
खुद  गोली  खाते  फिरें  , तुम्हें  मॉल    खिलायं  |

रुखी  सूखी   खा   रहे   , वे    हें    छोटे    लोग   , 
मदिरा   अंडा   मांस  हें  ,  बड़े  व्यक्ति   के  भोग |

इक -दो   कम्बल  दान  कर , जो फोटो   खिंचवाय ,
छपवा  के  अखवार  में  ,     भामा शाह   कहलाय |

दुकाने   व    मार्कीट     ,       मारपीट      हथियाय ,   
ये   सेवक   इक   रात  में  , अरवपति  बन    जाय | 
   


बुधवार, अप्रैल 14, 2010



chakka - shanideo

शनिदेव    की  पूजा  करो , कह   पत्नी     गुर्राय  ,
रोग  कस्ट  सब  दूर  हों  , केवल  यही    उपाय |
केवल  यही   उपाय  ,   नित्यप्रति  चने   चढ़ाओ ,
यदि  हों  वे  नमकीन ,तो ज्यादा  पुण्य  कमाओ |
इसी  बहाने  हनुमानजी ,    नमक       खायेंगे   ,
कस्ट  दूर  करने  को    बाउण्ड  वे  हो   जायेंगे  |

vyangajhadi -chakka -hindustani sadak

हिन्दुस्तानी  सडकों का  ,अजब  बुरा है  हाल  ,
चुर्र -चुर्र  वाहन  करें    ,ख़ुर्र - ख़ुर्र है     चाल  |
khurr-ख़ुर्र है    चाल     ,पाउडर खुद  लग जाए ,
काले  बुटीनाथ  स्वंम   गोरे         कहलायें     |
कह  sharad  kaviray , राम ही अब  रखवाला ,
बस में गर्ववती  महिला  भर   रही  उछाला     |

मंगलवार, अप्रैल 13, 2010

aj ka vichar

ये जो  अन्तराष्ट्रीय स्तर के रास्ट्रीय जनसेवक हैं जिन्हें आप प्यार से ऍम.एल.ए.या ऍम .पी.कहते हैं ,
वो महान दरख़्त  हैं जिनकी छत्रछाया में अपराध व्  भ्रस्टाचार कि अमरबेल  पनपती है  |

netaji aur braksharopan

एक नेताजी  गाँव में आये ,
उन्होंने  भाषण  दिया और  ब्राक्षारोपन  किया ,
जो पौधा  उन्होंने  रोपा  था ,
बत्ब्रक्ष  बन गया है ,
गुणों  में बिलकुल  नेताजी पर गया है ,
लेकिन  गाँव वाले उससे
बहुत डर चुके हैं ,
क्योंकि उस  ब्रक्ष  के
नीचे  कई  हत्याएं  और बलात्कार
हो चुके हैं  |

शुक्रवार, अप्रैल 02, 2010

गीता सार

कृष्ण  ने  अर्जुन से पूछा-
हे -पार्थ |
वो कोन सी जीवात्मा है ,
जिसे  बाढ़  बहा न सके ,
सूखा सुखा न सके ,
गरीबी की आग ,
जला न  सके, और
जो घटना -दुर्घटना के
हर तत्व को
पूर्व में ही जान लेता है  ?

अर्जुन बोला - तात
वह श्रेष्ठ  आत्मा
कोई और नहीं
पृथ्वी  ग्रह पर
हिन्दुस्तानी  नेता  है |