गाँधी की धरती पर बैठ कर इतनी ईमानदारी ऐसी बात नहीं कि सरकार केतन देसाई साहब को नहीं जानती थी |
जानती तो थी लेकिन उसकी निगाह में इतना ईमानदार बेईमान अफसर और कोई नहीं दिखा ,जो बईमानी के पैसे
को इतनी ईमानदारी से बन्दर -बाँट कर सके ........|
मैं, डा. राकेश शरद, घोषणा करता हूँ कि मैं व्यंग्य क़ी शरण में हूँ. व्यंग्य ही मेरे लिए बुद्धत्व है.समझो क़ी मैं बोध को प्राप्त हूँ. आओ तुम भी बोलो...व्यंग्यम शरणम गच्छामि !
बुधवार, अप्रैल 28, 2010
सोमवार, अप्रैल 19, 2010
दोहे ---बड़े लोग
मनुआ या संसार में , भांति -भांति के लोग ,
वो ही नर सबसे बड़ा , जिसको ज्यादा रोग |
बिना नमक भोजन करें, बिन चीनी की चाय ,
खुद गोली खाते फिरें , तुम्हें मॉल खिलायं |
रुखी सूखी खा रहे , वे हें छोटे लोग ,
मदिरा अंडा मांस हें , बड़े व्यक्ति के भोग |
इक -दो कम्बल दान कर , जो फोटो खिंचवाय ,
छपवा के अखवार में , भामा शाह कहलाय |
दुकाने व मार्कीट , मारपीट हथियाय ,
ये सेवक इक रात में , अरवपति बन जाय |
शुक्रवार, अप्रैल 16, 2010
बुधवार, अप्रैल 14, 2010
chakka - shanideo
शनिदेव की पूजा करो , कह पत्नी गुर्राय ,
रोग कस्ट सब दूर हों , केवल यही उपाय |
केवल यही उपाय , नित्यप्रति चने चढ़ाओ ,
यदि हों वे नमकीन ,तो ज्यादा पुण्य कमाओ |
इसी बहाने हनुमानजी , नमक खायेंगे ,
कस्ट दूर करने को बाउण्ड वे हो जायेंगे |
रोग कस्ट सब दूर हों , केवल यही उपाय |
केवल यही उपाय , नित्यप्रति चने चढ़ाओ ,
यदि हों वे नमकीन ,तो ज्यादा पुण्य कमाओ |
इसी बहाने हनुमानजी , नमक खायेंगे ,
कस्ट दूर करने को बाउण्ड वे हो जायेंगे |
vyangajhadi -chakka -hindustani sadak
हिन्दुस्तानी सडकों का ,अजब बुरा है हाल ,
चुर्र -चुर्र वाहन करें ,ख़ुर्र - ख़ुर्र है चाल |
khurr-ख़ुर्र है चाल ,पाउडर खुद लग जाए ,
काले बुटीनाथ स्वंम गोरे कहलायें |
कह sharad kaviray , राम ही अब रखवाला ,
बस में गर्ववती महिला भर रही उछाला |
चुर्र -चुर्र वाहन करें ,ख़ुर्र - ख़ुर्र है चाल |
khurr-ख़ुर्र है चाल ,पाउडर खुद लग जाए ,
काले बुटीनाथ स्वंम गोरे कहलायें |
कह sharad kaviray , राम ही अब रखवाला ,
बस में गर्ववती महिला भर रही उछाला |
मंगलवार, अप्रैल 13, 2010
aj ka vichar
ये जो अन्तराष्ट्रीय स्तर के रास्ट्रीय जनसेवक हैं जिन्हें आप प्यार से ऍम.एल.ए.या ऍम .पी.कहते हैं ,
वो महान दरख़्त हैं जिनकी छत्रछाया में अपराध व् भ्रस्टाचार कि अमरबेल पनपती है |
वो महान दरख़्त हैं जिनकी छत्रछाया में अपराध व् भ्रस्टाचार कि अमरबेल पनपती है |
netaji aur braksharopan
एक नेताजी गाँव में आये ,
उन्होंने भाषण दिया और ब्राक्षारोपन किया ,
जो पौधा उन्होंने रोपा था ,
बत्ब्रक्ष बन गया है ,
गुणों में बिलकुल नेताजी पर गया है ,
लेकिन गाँव वाले उससे
बहुत डर चुके हैं ,
क्योंकि उस ब्रक्ष के
नीचे कई हत्याएं और बलात्कार
हो चुके हैं |
उन्होंने भाषण दिया और ब्राक्षारोपन किया ,
जो पौधा उन्होंने रोपा था ,
बत्ब्रक्ष बन गया है ,
गुणों में बिलकुल नेताजी पर गया है ,
लेकिन गाँव वाले उससे
बहुत डर चुके हैं ,
क्योंकि उस ब्रक्ष के
नीचे कई हत्याएं और बलात्कार
हो चुके हैं |
शुक्रवार, अप्रैल 02, 2010
गीता सार
कृष्ण ने अर्जुन से पूछा-
हे -पार्थ |
वो कोन सी जीवात्मा है ,
जिसे बाढ़ बहा न सके ,
सूखा सुखा न सके ,
गरीबी की आग ,
जला न सके, और
जो घटना -दुर्घटना के
हर तत्व को
पूर्व में ही जान लेता है ?
अर्जुन बोला - तात
वह श्रेष्ठ आत्मा
कोई और नहीं
पृथ्वी ग्रह पर
हिन्दुस्तानी नेता है |
हे -पार्थ |
वो कोन सी जीवात्मा है ,
जिसे बाढ़ बहा न सके ,
सूखा सुखा न सके ,
गरीबी की आग ,
जला न सके, और
जो घटना -दुर्घटना के
हर तत्व को
पूर्व में ही जान लेता है ?
अर्जुन बोला - तात
वह श्रेष्ठ आत्मा
कोई और नहीं
पृथ्वी ग्रह पर
हिन्दुस्तानी नेता है |
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