वो ही नर सबसे बड़ा , जिसको ज्यादा रोग |
बिना नमक भोजन करें, बिन चीनी की चाय ,
खुद गोली खाते फिरें , तुम्हें मॉल खिलायं |
रुखी सूखी खा रहे , वे हें छोटे लोग ,
मदिरा अंडा मांस हें , बड़े व्यक्ति के भोग |
इक -दो कम्बल दान कर , जो फोटो खिंचवाय ,
छपवा के अखवार में , भामा शाह कहलाय |
दुकाने व मार्कीट , मारपीट हथियाय ,
ये सेवक इक रात में , अरवपति बन जाय |
बहुत खूब! आप तो बड़े आदमी हैं!
जवाब देंहटाएंइक -दो कम्बल दान कर , जो फोटो खिंचवाय ,
जवाब देंहटाएंछपवा के अखवार में , भामा शाह कहलाय |
-बहुत सही!!
mast hai ji....
जवाब देंहटाएंkunwar ji,
बढिया। ब्लॉग जगत में आपका स्वागत है। यह प्रविष्टि कुछ हटकर है और तमाम छींटाकशी के बीच ज़रूरी भी।
जवाब देंहटाएंbadhiya vyang !
जवाब देंहटाएंहिंदी ब्लाग लेखन के लिए स्वागत और बधाई
जवाब देंहटाएंकृपया अन्य ब्लॉगों को भी पढें और अपनी बहुमूल्य टिप्पणियां देनें का कष्ट करें
इक -दो कम्बल दान कर , जो फोटो खिंचवाय ,
जवाब देंहटाएंछपवा के अखवार में , भामा शाह कहलाय |
वाह वाह,
आप सच में बहुत ही बड़े व्यक्ति हैं, तो दावत कब है !!
kya bat, kya bat, kya bat
जवाब देंहटाएंkya bat, kya bat, kya bat
जवाब देंहटाएंmama shri ye kavita to bas gazab dha dete hai, jitne marje bar pdho jitne marje bar suno har bar vahi freshnes feel hote hai
जवाब देंहटाएंwah wah wah