Dohe

दोहा

शोर विकास का हो रहा ढूँडो कहाँ विकास ,
खेत जमीनें छिन रहीं ,मजे ले रहे खास |

पोखर नेता ले उड़े , टीले ठेकेदार,
लूटमार के दौर में , हो रहि मारम्मार |

जेलों में जो बंद हैं , भले लोग कहलाएँ ,
भगवा आतंकी हुआ , ये आतंक फैलाय |

खेल खेल में कर गए ,देखो कैसा खेल ,
भ्रस्टाचार के आ रहे ,नित्य नए ईमेल

सास बहू से कह रही ,क्यों पहिने ये पेंट ,
साडी का फैशन गया , लगे पेन्ट डीसेंट |

सासू माँ की बात को ,बहु ने किया रिजेक्ट ,
थैली का आंटा सदा , होता है परफेक्ट |

सासूजी हतप्रभ हुई ,सुन बहुजी की राय ,
घंटी पूजा की बजे , नींद टूट है जाय |

सास बनाती बेड -टी , खोल बहू तू गेट ,
नों सुबह के बज गए , आफिस होगी लेट |

सास -बहू तकरार का , समाधान है एक ,
माँ बेटी बनकर रहें , रक्खें सदा विवेक |

रक्षाबंधन पर दिखे , हमको सूने भाल ,
पुत्र मोह ने कर दिया , देखो कैसा हाल |

ट्रेन में भरी भीड़ है , बस हैं ओवरलोड ,
बहिना कैसे जाएगी , जाम हो गई रोड |

राखी के त्यौहार पर , भई घेवर की लूट ,
सिंथेटिक खोवा मिले , प्राण जायेंगे छूट |

सूनी सब कलाइयाँ , सूने- सूने भाल ,
महंगाई ने कर दिया ,अजब-गजब ये हाल |

प्रेम भाव सब मिट गया ,पीटें सभीं लकीर ,
बहिना रोवें आपनी , भाई अपनी पीर |