गुरुवार, नवंबर 04, 2010

दीपावली की हार्दिक शुभकामनायें

    दीपावली की हार्दिक शुभकामनायें !
    लक्ष्मीजी  सीधे आपके घर आयें,
    इसके लिए आप उलूक्जी की आरती गायें-
    जैसेही उलूक्जी आपके द्वार पर लेण्ड करें 
    लक्ष्मीजी जी को लोंकर से बेन्ड करें  ,  
    उल्लूजी से साधें अपना उल्लू -
    द्वार करें बंद -कहें राम राम ,
    रघुपति राघव रजा राम ...........!
      

रविवार, सितंबर 12, 2010

एक सरप्राइज-पापा को

यदि संस्कार अच्छे हों तो बच्चे भी अच्छे होते हैं |इस बार कुछ ऐसा ही किया बच्चों ने बहु -बेटों ने बहाने बना कर हम दोनों को  अपने पास हिमाचल बुला लिया |तिथि थी 08 -09 -10 हम दोनों से बड़ी मनुहार की कि जरा अच्छे वस्त्र पहनलें , सभी लोगों को मंदिर चलना है |
सभी तैयार हो गये हमसे बोले -जरा दो मिनट सोफे पर बैठें इतने में बहु ने एक बड़ा सा केक लाकर टेबिल पर रख दिया और जोर -जोर से चिल्लाने लगे -हेप्पी बर्डे टू पापाजी -हेप्पी बर्डे टू पापाजी हम पति -पत्नी अचंभित रह गए
इतने में हमारी छोटी सी नतिनी ने केक काटकर हमारी सहायता की  | फिर सभी लोग मंदिर की ओर चढ़ चले |
विश्वविद्यालय के केम्पस में अद्भुत मंदिर बना हुआ है | ईश्वर के दर्शन कर हमें घुमाने के बहाने शिमला की ओर ले चले फिर गाड़ी को निर्जन पहाड़ी की ओर मोड़ दिया थोड़ी देर चलने के बाद एक पहाड़ी पर रोक दिया पता चला
यह "होटल आमोद " है हमने कहा की तुमतो घर पर ही अच्छे व्यंजन बनाने वाले थे ,क्या हुआउस सबका सब बच्चे मिलकर बोले -हमारा सरप्राइज कैसा लगा ? तब अचानक ये दो छक्के -बन गए ---------
                                  आज सुबह से आ  रहे , नए- नए इमेल
                                  खाना पीना और तो , नींद  हो गई फेल |
                                  नींद हो गई फेल ,अलग फुनवा  गुर्रावे ,
                                  कितने  के हो गए, शरदजी सच बतलावें |
                                  भांति- भांति के प्रश्न  मित्रगण पूंछ रहे हें ,
                                  दावत-फावत छोड़ ,हिमाचल घूम रहें हें |     

                                  बच्चों संग मना  रहे   , बर्डे कवी   राकेश  ,
                                  पहुँच हिमाचल वे गए ,छोड़ा प्रश्न -प्रदेश |
                                  छोड़ा  प्रश्न  प्रदेश ,    यहाँ   केवल उत्तर हें ,
                                  हम दोनों  के संग यहाँ ,बहू और पुत्तर हें |
                                  हेप्पी  - बर्डे   आशू ,   चारू    शोर   माचैया  ,
                                  गुडिया -चिड़िया सब मिल नाचें ताता-थैया  | 
                                
                                 

गुरुवार, सितंबर 02, 2010

दोहा -विकास

शोर विकास का हो रहा ढूँडो कहाँ विकास ,
खेत जमीनें छिन रहीं ,मजे ले रहे   खास |

पोखर     नेता  ले   उड़े , टीले       ठेकेदार,
लूटमार के दौर में , हो रहि    मारम्मार |

दोहा

जेलों में जो बंद हैं , भले लोग कहलाएँ ,
भगवा आतंकी हुआ , ये आतंक फैलाय  |

सोमवार, अगस्त 09, 2010

खेल खेल में कर गए ,देखो कैसा खेल ,
भ्रस्टाचार के आ रहे  ,नित्य नए ईमेल

रविवार, जुलाई 11, 2010

दोहा - सास-बहू

 सास बहू  से  कह रही  ,क्यों  पहिने  ये पेंट , 
साडी   का  फैशन  गया , लगे  पेन्ट  डीसेंट  |

सासू  माँ की  बात को ,बहु ने किया  रिजेक्ट ,
थैली  का  आंटा  सदा   , होता है    परफेक्ट |

सासूजी   हतप्रभ   हुई   ,सुन   बहुजी   की   राय ,
घंटी  पूजा  की   बजे     , नींद   टूट    है      जाय  |

सास   बनाती  बेड  -टी  , खोल  बहू     तू     गेट ,
नों    सुबह   के  बज    गए , आफिस   होगी  लेट  |

सास -बहू    तकरार   का  ,   समाधान  है    एक ,
माँ  बेटी   बनकर  रहें  ,  रक्खें  सदा    विवेक    |

सोमवार, मई 31, 2010

चिरिया का पहला बर्थडे

वो बहुत छोटी है
एक सौनचिरैया की मानिंद
प्यारी प्यारी सी
इन्द्रधनुसीय रंगों से भरी
भिन्न भिन्न मुद्राओं की किलकारी सी
रेशम जैसी कोमल
नटखट चितवन , निर्मल मन की
मेरी चिड़िया है

यहाँ एक राज है
चिड़िया मेरे बेटे की बेटी है
यानिकी मेरा मूल धन नहीं
अपितु व्याज है |
 मेरी यह व्याज एक बिटिया है
इसका मुझे नाज है |

मुझे पता ही नहीं चला कि,
कब वो एक साल कि हो गई ,
शायद तभी बुजुर्गों ने कहा है कि ,
बेटियां कब बड़ी हो जाती हैं ,
पता नहीं चलता |
मेरी ये चिड़िया ,
हिमाचल कि बेटी है ,
मेरे गुरुदेव का आशीर्वाद है ,
प्रथ्वी पर प्रकृति का प्रसाद है |

वाकनाघाट की सुरम्य वादियों में ,
हिमाचल की ऊँची- ऊँची पहाड़ियों में ,
शीतल हवाओं के झोकों के बीच
चीड़ के ऊँचे ऊँचे ब्रक्षों से घिरी
हिमाचली लताओं से लिपटी
एक काटेज में ,
हम सबने अपनी चिड़िया का
पहला जन्मदिन ,
जिसमें बाबा,अम्मा ,पापा ,मम्मा ,चाचा ,मौसी ,अडौसी-पडौसी
सबके -सबके  साथ थे ,
हँसते गाते मनाया |

बुधवार, अप्रैल 28, 2010

भ्रस्टाचार एक आभूषण

गाँधी की  धरती  पर बैठ  कर इतनी  ईमानदारी  ऐसी  बात नहीं  कि सरकार केतन देसाई  साहब को नहीं  जानती थी |
जानती  तो थी लेकिन उसकी निगाह में  इतना ईमानदार  बेईमान  अफसर  और कोई नहीं  दिखा ,जो बईमानी के पैसे
को इतनी ईमानदारी से बन्दर -बाँट  कर सके  ........|

सोमवार, अप्रैल 19, 2010

दोहे ---बड़े लोग

मनुआ   या  संसार  में  , भांति -भांति  के   लोग ,
वो   ही  नर  सबसे  बड़ा , जिसको  ज्यादा  रोग  |

बिना  नमक  भोजन  करें, बिन   चीनी  की  चाय ,
खुद  गोली  खाते  फिरें  , तुम्हें  मॉल    खिलायं  |

रुखी  सूखी   खा   रहे   , वे    हें    छोटे    लोग   , 
मदिरा   अंडा   मांस  हें  ,  बड़े  व्यक्ति   के  भोग |

इक -दो   कम्बल  दान  कर , जो फोटो   खिंचवाय ,
छपवा  के  अखवार  में  ,     भामा शाह   कहलाय |

दुकाने   व    मार्कीट     ,       मारपीट      हथियाय ,   
ये   सेवक   इक   रात  में  , अरवपति  बन    जाय | 
   


बुधवार, अप्रैल 14, 2010



chakka - shanideo

शनिदेव    की  पूजा  करो , कह   पत्नी     गुर्राय  ,
रोग  कस्ट  सब  दूर  हों  , केवल  यही    उपाय |
केवल  यही   उपाय  ,   नित्यप्रति  चने   चढ़ाओ ,
यदि  हों  वे  नमकीन ,तो ज्यादा  पुण्य  कमाओ |
इसी  बहाने  हनुमानजी ,    नमक       खायेंगे   ,
कस्ट  दूर  करने  को    बाउण्ड  वे  हो   जायेंगे  |

vyangajhadi -chakka -hindustani sadak

हिन्दुस्तानी  सडकों का  ,अजब  बुरा है  हाल  ,
चुर्र -चुर्र  वाहन  करें    ,ख़ुर्र - ख़ुर्र है     चाल  |
khurr-ख़ुर्र है    चाल     ,पाउडर खुद  लग जाए ,
काले  बुटीनाथ  स्वंम   गोरे         कहलायें     |
कह  sharad  kaviray , राम ही अब  रखवाला ,
बस में गर्ववती  महिला  भर   रही  उछाला     |

मंगलवार, अप्रैल 13, 2010

aj ka vichar

ये जो  अन्तराष्ट्रीय स्तर के रास्ट्रीय जनसेवक हैं जिन्हें आप प्यार से ऍम.एल.ए.या ऍम .पी.कहते हैं ,
वो महान दरख़्त  हैं जिनकी छत्रछाया में अपराध व्  भ्रस्टाचार कि अमरबेल  पनपती है  |

netaji aur braksharopan

एक नेताजी  गाँव में आये ,
उन्होंने  भाषण  दिया और  ब्राक्षारोपन  किया ,
जो पौधा  उन्होंने  रोपा  था ,
बत्ब्रक्ष  बन गया है ,
गुणों  में बिलकुल  नेताजी पर गया है ,
लेकिन  गाँव वाले उससे
बहुत डर चुके हैं ,
क्योंकि उस  ब्रक्ष  के
नीचे  कई  हत्याएं  और बलात्कार
हो चुके हैं  |

शुक्रवार, अप्रैल 02, 2010

गीता सार

कृष्ण  ने  अर्जुन से पूछा-
हे -पार्थ |
वो कोन सी जीवात्मा है ,
जिसे  बाढ़  बहा न सके ,
सूखा सुखा न सके ,
गरीबी की आग ,
जला न  सके, और
जो घटना -दुर्घटना के
हर तत्व को
पूर्व में ही जान लेता है  ?

अर्जुन बोला - तात
वह श्रेष्ठ  आत्मा
कोई और नहीं
पृथ्वी  ग्रह पर
हिन्दुस्तानी  नेता  है |

बुधवार, मार्च 31, 2010

वृक्ष उगाओ, वृक्ष लगाओ

प्रदूषण दूर भगाओ से
प्रभावित होकर ही
हमारे नेतागण
वृक्षारोपण करते हैं और
जमकर उसका रिटर्न लेते हैं

पेड़ से लकड़ी,
लकड़ी से कुर्सी तगड़ी
कुर्सी पर नेता,
नेता ही लेता,

कुर्सी यानिकी पद,
पद का ही मद
मद यानिकी खुमार,
लोग कहते हैं इसे भ्रष्टाचार

भ्रष्टाचार ही है
नेता का भूषण,
नेता निर्लिप्त है,
ये पेड़ ही फैलाता है pradooshan ......

ये पेड़ ही फैलाता है प्रदुषण ......

बुधवार, मार्च 24, 2010

बात समझे क्या

यह दुनिया बड़ी खतरनाक  भूलभुलैया है. यहाँ जो भी आये हैं, उन्हें निश्चित समय तक यहाँ रहने के बाद अपने असली ठिकाने की ओर कूच करना  पड़ता है. कभी-कभी कुछ लोग इस भ्रम में रहते हैं कि  उन्हें यहाँ से जाना नहीं है, वे तो स्थाई रूप से यहाँ रहने वाले  हैं. यह भ्रम ही सभी समस्याओं की जड़  है. इसी भरोसे में आदमी सब कुछ जुटाने लगता है, कूड़ा-कचरा बटोरकर घर में भरने लगता है, दूसरों का हक़ छीनने लगता है. वह भूल जाता है कि यह उसका काम नहीं है. उसे तो मनुष्य  का दुर्लभ  शरीर मिला है, दुर्लभ इस मायने में कि केवल मनुष्य ही सोच सकता है, बाकी सभी जीवधारी अपनी मूलप्रवृत्तियों  से संचालित होते हैं. आदमी को यही सोचना है कि उसके लिए रास्ता क्या हो सकता है? उसे किस दिशा में जाना है? जो सही रास्ता चुन लेता है, वह वहां पहुँच जाता है, जहाँ उसे जाना है.  इसके अलावा जो किसी भी रस्ते पर चल पड़ता है, यह मानकर कि यही सही रास्ता है और वह इसी रस्ते से पहुँच जायेगा, वह भी चमत्कारिक ढंग से सही जगह पर पहुँच जाता है. अब अगर बात कुछ समझ में आ रही हो तो चल पड़ो, आगे डॉ राकेश शरद मिलेंगे, उनके साथ हो लेना, नहीं मिलें तो थोडा इंतजार कर लेना, जय सिया राम.