बुधवार, मार्च 24, 2010

बात समझे क्या

यह दुनिया बड़ी खतरनाक  भूलभुलैया है. यहाँ जो भी आये हैं, उन्हें निश्चित समय तक यहाँ रहने के बाद अपने असली ठिकाने की ओर कूच करना  पड़ता है. कभी-कभी कुछ लोग इस भ्रम में रहते हैं कि  उन्हें यहाँ से जाना नहीं है, वे तो स्थाई रूप से यहाँ रहने वाले  हैं. यह भ्रम ही सभी समस्याओं की जड़  है. इसी भरोसे में आदमी सब कुछ जुटाने लगता है, कूड़ा-कचरा बटोरकर घर में भरने लगता है, दूसरों का हक़ छीनने लगता है. वह भूल जाता है कि यह उसका काम नहीं है. उसे तो मनुष्य  का दुर्लभ  शरीर मिला है, दुर्लभ इस मायने में कि केवल मनुष्य ही सोच सकता है, बाकी सभी जीवधारी अपनी मूलप्रवृत्तियों  से संचालित होते हैं. आदमी को यही सोचना है कि उसके लिए रास्ता क्या हो सकता है? उसे किस दिशा में जाना है? जो सही रास्ता चुन लेता है, वह वहां पहुँच जाता है, जहाँ उसे जाना है.  इसके अलावा जो किसी भी रस्ते पर चल पड़ता है, यह मानकर कि यही सही रास्ता है और वह इसी रस्ते से पहुँच जायेगा, वह भी चमत्कारिक ढंग से सही जगह पर पहुँच जाता है. अब अगर बात कुछ समझ में आ रही हो तो चल पड़ो, आगे डॉ राकेश शरद मिलेंगे, उनके साथ हो लेना, नहीं मिलें तो थोडा इंतजार कर लेना, जय सिया राम.

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