सोमवार, अप्रैल 19, 2010

दोहे ---बड़े लोग

मनुआ   या  संसार  में  , भांति -भांति  के   लोग ,
वो   ही  नर  सबसे  बड़ा , जिसको  ज्यादा  रोग  |

बिना  नमक  भोजन  करें, बिन   चीनी  की  चाय ,
खुद  गोली  खाते  फिरें  , तुम्हें  मॉल    खिलायं  |

रुखी  सूखी   खा   रहे   , वे    हें    छोटे    लोग   , 
मदिरा   अंडा   मांस  हें  ,  बड़े  व्यक्ति   के  भोग |

इक -दो   कम्बल  दान  कर , जो फोटो   खिंचवाय ,
छपवा  के  अखवार  में  ,     भामा शाह   कहलाय |

दुकाने   व    मार्कीट     ,       मारपीट      हथियाय ,   
ये   सेवक   इक   रात  में  , अरवपति  बन    जाय | 
   


10 टिप्‍पणियां:

  1. इक -दो कम्बल दान कर , जो फोटो खिंचवाय ,
    छपवा के अखवार में , भामा शाह कहलाय |

    -बहुत सही!!

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  2. बढिया। ब्लॉग जगत में आपका स्वागत है। यह प्रविष्टि कुछ हटकर है और तमाम छींटाकशी के बीच ज़रूरी भी।

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  3. हिंदी ब्लाग लेखन के लिए स्वागत और बधाई
    कृपया अन्य ब्लॉगों को भी पढें और अपनी बहुमूल्य टिप्पणियां देनें का कष्ट करें

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  4. इक -दो कम्बल दान कर , जो फोटो खिंचवाय ,
    छपवा के अखवार में , भामा शाह कहलाय |
    वाह वाह,
    आप सच में बहुत ही बड़े व्यक्ति हैं, तो दावत कब है !!

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  5. mama shri ye kavita to bas gazab dha dete hai, jitne marje bar pdho jitne marje bar suno har bar vahi freshnes feel hote hai

    wah wah wah

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