बुधवार, अप्रैल 28, 2010

भ्रस्टाचार एक आभूषण

गाँधी की  धरती  पर बैठ  कर इतनी  ईमानदारी  ऐसी  बात नहीं  कि सरकार केतन देसाई  साहब को नहीं  जानती थी |
जानती  तो थी लेकिन उसकी निगाह में  इतना ईमानदार  बेईमान  अफसर  और कोई नहीं  दिखा ,जो बईमानी के पैसे
को इतनी ईमानदारी से बन्दर -बाँट  कर सके  ........|

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