मंगलवार, मार्च 15, 2011

होली तो बस होली है ..............!




  |

 ...ईद मनाते मुसलमान ,
 दीवाली को वैश्य भाई


मनाएं छत्रिय दशहरा ,
क्रिसमस को ईसाई  |
अलग-अलग त्यौहार मनाते,
भिन्न जाति के लोग ,
कोई तो सजदा करे ,और
कोई चढ़ावे भोग |

सिर्फ एक त्यौहार है ऐसा ,
जिसमें सब हमजोली हैं ,
हिन्दू -मुस्लिम -सिख -ईसाई ,
मिलकर खेलें होली हैं  |        होली तो ............|

सींग कटा बछड़ों में शामिल ,
बूढ़े भी देवर बन बैठे |
पोले-पोले मुहँ सो बोलें -
भाभी खेलो होली है ..........होली तो ..............|

दिल की उमंग ,नयनों की बोली है ,
प्रेमी की पिचकारी ,
दिलवर की चोली है ,
भाभी की मनुहार ,
देवर की हंसी-ठिठोली है .....होली तो...............|

देखें कहीं और लगे वहीँ ,
नयनों की ऐसी बोली है|
कमसिन जिस्मों की देहरी पर
फागुन ने रची रंगोली है .........होली तो ..............|

होली है प्रेम और मिलाप की ,
उनकी और आपकी |
लड़के और बाप की ,
थोड़े -अनापशनाप की,
पुण्य और पाप की ,
प्रेम-पश्चाताप की
कलह और मिलाप की |
हंसी और विलाप की |
तान और आलाप की .............होली तो ..........|

होली है देवर भाभी की,
ताले और चावी की |
हिंदी और पंजाबी की ,
चंगे और शराबी की ,
फकीरी और नबाबी की ,
सूफी और कबाबी की,
रूप रंग मायावी की, और..
उनके गाल गुलाबी की ...........होली तो ..........|

हमारे पास ,
साहित्य का रंग है ,
कविता की चंग है ,
कलम की पिचकारी में,
व्यंग ही व्यंग है ,...ऊपर से
तुम्हारा जो संग है |
कलाई पर काव्य का कलावा ,
मस्तक पर चुम्बन की रोली है |
मनहूसों को खास रियायत देने को ,
हंसी -ठहाकों की एक दुंका ,
राकेश शरद ने खोली है..........होली तो ...........|






  



|




|






गुरुवार, नवंबर 04, 2010

दीपावली की हार्दिक शुभकामनायें

    दीपावली की हार्दिक शुभकामनायें !
    लक्ष्मीजी  सीधे आपके घर आयें,
    इसके लिए आप उलूक्जी की आरती गायें-
    जैसेही उलूक्जी आपके द्वार पर लेण्ड करें 
    लक्ष्मीजी जी को लोंकर से बेन्ड करें  ,  
    उल्लूजी से साधें अपना उल्लू -
    द्वार करें बंद -कहें राम राम ,
    रघुपति राघव रजा राम ...........!
      

रविवार, सितंबर 12, 2010

एक सरप्राइज-पापा को

यदि संस्कार अच्छे हों तो बच्चे भी अच्छे होते हैं |इस बार कुछ ऐसा ही किया बच्चों ने बहु -बेटों ने बहाने बना कर हम दोनों को  अपने पास हिमाचल बुला लिया |तिथि थी 08 -09 -10 हम दोनों से बड़ी मनुहार की कि जरा अच्छे वस्त्र पहनलें , सभी लोगों को मंदिर चलना है |
सभी तैयार हो गये हमसे बोले -जरा दो मिनट सोफे पर बैठें इतने में बहु ने एक बड़ा सा केक लाकर टेबिल पर रख दिया और जोर -जोर से चिल्लाने लगे -हेप्पी बर्डे टू पापाजी -हेप्पी बर्डे टू पापाजी हम पति -पत्नी अचंभित रह गए
इतने में हमारी छोटी सी नतिनी ने केक काटकर हमारी सहायता की  | फिर सभी लोग मंदिर की ओर चढ़ चले |
विश्वविद्यालय के केम्पस में अद्भुत मंदिर बना हुआ है | ईश्वर के दर्शन कर हमें घुमाने के बहाने शिमला की ओर ले चले फिर गाड़ी को निर्जन पहाड़ी की ओर मोड़ दिया थोड़ी देर चलने के बाद एक पहाड़ी पर रोक दिया पता चला
यह "होटल आमोद " है हमने कहा की तुमतो घर पर ही अच्छे व्यंजन बनाने वाले थे ,क्या हुआउस सबका सब बच्चे मिलकर बोले -हमारा सरप्राइज कैसा लगा ? तब अचानक ये दो छक्के -बन गए ---------
                                  आज सुबह से आ  रहे , नए- नए इमेल
                                  खाना पीना और तो , नींद  हो गई फेल |
                                  नींद हो गई फेल ,अलग फुनवा  गुर्रावे ,
                                  कितने  के हो गए, शरदजी सच बतलावें |
                                  भांति- भांति के प्रश्न  मित्रगण पूंछ रहे हें ,
                                  दावत-फावत छोड़ ,हिमाचल घूम रहें हें |     

                                  बच्चों संग मना  रहे   , बर्डे कवी   राकेश  ,
                                  पहुँच हिमाचल वे गए ,छोड़ा प्रश्न -प्रदेश |
                                  छोड़ा  प्रश्न  प्रदेश ,    यहाँ   केवल उत्तर हें ,
                                  हम दोनों  के संग यहाँ ,बहू और पुत्तर हें |
                                  हेप्पी  - बर्डे   आशू ,   चारू    शोर   माचैया  ,
                                  गुडिया -चिड़िया सब मिल नाचें ताता-थैया  | 
                                
                                 

गुरुवार, सितंबर 02, 2010

दोहा -विकास

शोर विकास का हो रहा ढूँडो कहाँ विकास ,
खेत जमीनें छिन रहीं ,मजे ले रहे   खास |

पोखर     नेता  ले   उड़े , टीले       ठेकेदार,
लूटमार के दौर में , हो रहि    मारम्मार |

दोहा

जेलों में जो बंद हैं , भले लोग कहलाएँ ,
भगवा आतंकी हुआ , ये आतंक फैलाय  |

सोमवार, अगस्त 09, 2010

खेल खेल में कर गए ,देखो कैसा खेल ,
भ्रस्टाचार के आ रहे  ,नित्य नए ईमेल

रविवार, जुलाई 11, 2010

दोहा - सास-बहू

 सास बहू  से  कह रही  ,क्यों  पहिने  ये पेंट , 
साडी   का  फैशन  गया , लगे  पेन्ट  डीसेंट  |

सासू  माँ की  बात को ,बहु ने किया  रिजेक्ट ,
थैली  का  आंटा  सदा   , होता है    परफेक्ट |

सासूजी   हतप्रभ   हुई   ,सुन   बहुजी   की   राय ,
घंटी  पूजा  की   बजे     , नींद   टूट    है      जाय  |

सास   बनाती  बेड  -टी  , खोल  बहू     तू     गेट ,
नों    सुबह   के  बज    गए , आफिस   होगी  लेट  |

सास -बहू    तकरार   का  ,   समाधान  है    एक ,
माँ  बेटी   बनकर  रहें  ,  रक्खें  सदा    विवेक    |