मैं, डा. राकेश शरद, घोषणा करता हूँ कि मैं व्यंग्य क़ी शरण में हूँ. व्यंग्य ही मेरे लिए बुद्धत्व है.समझो क़ी मैं बोध को प्राप्त हूँ. आओ तुम भी बोलो...व्यंग्यम शरणम गच्छामि !
शनिवार, जून 04, 2011
शुक्रवार, जून 03, 2011
दो साल की हुई मृडानी
प्यारी प्यारी ,सुन्नर - सुन्नर
ऐसे लगती जैसे बन्नर,
शिमला से आया इक फोन -
सोचा मैंने -कौन -कौन ?
सोचा मैंने -कौन -कौन ?
बाबा -बाबा .......
मैं हूँ गौरा--सोना रानी
मेरा सुन्दर नाम मृडानी |
क्या- मेरा बर्डे भूल गए ,
आपको उसमें आना है ,
अम्मा को भी लाना है |
बर्डे कैसे मानोगे .....?
मुझको क्या -क्या लाओगे....?
लड्डू -मठरी खाऊंगा ,
नए-नए कपड़े पहिन कर..
होटल को मैं जाऊंगा |
मैंने पूछा - उससे बेटा
कौन -कौन है आएगा ..?
गौरा बोला -
कृति, आकृति ,कुञ्ज ,निकुंज
और बहुत से आयेंगे
गिफ्ट बहुत से लायेंगे |
पापा -मम्मा ,चाचू-अम्मा
अंकल -आंटी
साथ में उनके सुन्दर सेंटी
फोनों की लग गयी झड़ी
सोना सुनकर हुई खड़ी -
हाथरस से दादा -दादी
देने लगे प्रेम परसादी ,
दिल्ली से थीं बुआ -अम्मा ,
लेने लगीं फोन पर चुम्मा |
एक आवाज़ बहुत पहचानी
सोना के थे नाना -नानी |
थीं, पायल चाची बहुत चियर
उन्होंने भेजा टेड्डी -बियर,
चाची बोलीं -अगली साल ,
मिल कर हम सब
बर्डे साथ मनाएंगे ,
माल रोड पर ,
खूब धमाल मचाएगे
सुन्दर गाने गाएँगे ,
शिमला की रिमझिम बारिश में
जम कर खूब नहाएँगे |
यूपी की भीषण गर्मी से
बच बचा कर
किसी तरह से-अम्मा बाबा
तीस मई को - शिमला आए ,
लेकर सबको साथ में अपने
संकट -मोचन मंदिर धाए |
दो साल का हो गया बच्चा
प्यारा -प्यारा ,सीधा -सच्चा |
ईश्वर का आशीष दिलाया
पंडितजी ने तिलक लगाया ,
फिर गौरा ने ढोक लगायी
सबने मिल आरती गायी |
शाम सात बजे
पहुंचे शिमला ,
होटल- ट्रिपल एच पर बोला हमला ,
मिलके सबने काटा केक
शोर मचाया सबने देख -
हैप्पी बर्डे -हैप्पी बर्डे -डौल मृडानी
छीना-झपटी केक की मच गई
होने लगी खूब मनमानी
एक आँख को मींचे -मींचे
चाचू ने हैं फोटो खींचे
बच्चे लगे मचाने शोर
मेरा फोटो -वंस मोर -वंस मोर |
फिर सबने
मिल खाया केक
सिर्फ, एक नहीं बार अनेक |
तरह तरह के व्यंजन खाए ,
बार बार उनको मंगवाए |
रोटी -दाल,कचौरी खाई
पनीर कोफ्ता और मलाई ,
बिरयानी की खुशबू भाई |
पड़-पड़-पड़-पड़ पापड़ बोले
खुशबू दे रहे थे छोले |
अंत में आया रसगुल्ला
हो गया होटल में हल्ला --
खूब मना है ये मंडे
बुधवार, जून 01, 2011
बाबा रामदेव और सत्यासन
बाबा रामदेव और सत्यासन
गांधीजी के बाद देश में सत्याग्रह का सीजन चल रहा है I पहले अन्ना हजारे फिर बाबा रामदेव I सब बड़े चिंतित हैं कि देश में विदेश से कला धन कैसे वापस आए I काला धन जैसे ही वापस आएगा वैसे ही भारत की अर्थ व्यवस्था सुपर रिन की तरह चमचमा उठेगी I सो जिसे देखो वोही सत्यागृह करने पर आमादा है I अंतर सिर्फ इतना है कि ये महापुरुष काले धन से अर्थ व्यवस्था को चमकाने का प्रयास कर रहे हैं और हमारी जनप्रिय सरकार सफ़ेद धन से अर्थ व्यवस्था को काला करने में जुटी पड़ी है I
सुना है सरकार दिल्ली में एक सत्याग्रह मंच का निर्माण कराने की सोच रही है ताकि भ्रष्टाचार के खिलाफ महान लोग आकर सत्याग्रह कर सकें I सरकार ने इन सत्याग्रहियों से बातचीत करने को एक अलग कमेटी का निर्माण कर दिया है जिसमें एक से एक घाघ मंत्री शामिल हैं I इन लोगों में इतनी योग्यता है कि सीधी साधी बात को भी इतनी जटिल बना देते हैं कि किसी निर्णय तक पहुँच ही नहीं पाते I
ये सत्य की फुटबाल फुला रहे हैं और वो फुटबाल की हवा निकाल रहे हैं...खेल पूरी ईमानदारी के साथ चालू है I देश तमाशा देख रहा है I सुना है कि दोनों तरफ के खिलाड़ी एक दूसरे पर स्पोंसर्ड होने का आरोप लगा रहे हैं I जनता आशावान है कि कुछ ना कुछ तो होगा ही I ये ऊपर के स्तर पर भ्रष्टाचार सफाई का खेल है I जबकि नीचे के स्तर पर सब कुछ यथावत चल रहा है I फिर भी बाबा लगे पड़े हैं I पहले वो शीर्षशाशन करा रहे थे, अब सत्याशन करा रहे हैं I निश्चित रूप से काला धन वापस आएगा I देश में खुशियों को लाएगा I आम आदमी दोनों टाइम खाना खाएगा, क्योंकि न रहेगा बांस ना बजेगी बांसुरी I
आओ हम सब दिल्ली चलें.............!!!
गांधीजी के बाद देश में सत्याग्रह का सीजन चल रहा है I पहले अन्ना हजारे फिर बाबा रामदेव I सब बड़े चिंतित हैं कि देश में विदेश से कला धन कैसे वापस आए I काला धन जैसे ही वापस आएगा वैसे ही भारत की अर्थ व्यवस्था सुपर रिन की तरह चमचमा उठेगी I सो जिसे देखो वोही सत्यागृह करने पर आमादा है I अंतर सिर्फ इतना है कि ये महापुरुष काले धन से अर्थ व्यवस्था को चमकाने का प्रयास कर रहे हैं और हमारी जनप्रिय सरकार सफ़ेद धन से अर्थ व्यवस्था को काला करने में जुटी पड़ी है I
दरअसल ये विचारों का मतभेद है और कुछ भी नहीं I दोनों ही राष्ट्र का उत्थान करना चाहते हैं I राष्ट्र तभी ऊपर उठेगा जब लोग काम करेंगे और लोग तभी काम करेंगे जब दाम मिलेगा I दाम तभी मिलेगा जब लोगों का लीक से हटकर काम होगा I लीक से हटकर तभी काम होगा जब सरकारी अफसर नियमों को तोड़ मरोड़ेंगे I अफसर तभी नियमों को तोड़ पायेंगे जब मंत्रियों को धन मिलेगा I मंत्रियों को धन तभी मिलेगा जब सरकार अपनी आँखें बन्द करे रहेगी I
सरकार सरकार होती है I ये शायद इन सीधे साधे सत्याग्रहियों को नहीं मालूम I सरकार का अर्थ होता है सरक यार I एक सत्याग्रही जैसे बैठा तो सरकार बोली - बहुत हो गया, अब तो सरक यार I और जैसे ही वोह सरका दूसरा आकर बैठ गया I सरकार सरकार होती है I ये शायद इन सीधे साधे सत्याग्रहियों को नहीं मालूम I सरकार का अर्थ होता है सरक यार I एक सत्याग्रही जैसे बैठा तो सरकार बोली - बहुत हो गया, अब तो सरक यार I और जैसे ही वो सरका दूसरा आकर बैठ गया फिर लेनदेन का खेल चालू हो गया I सुना है सरकार दिल्ली में एक सत्याग्रह मंच का निर्माण कराने की सोच रही है ताकि भ्रष्टाचार के खिलाफ महान लोग आकर सत्याग्रह कर सकें I सरकार ने इन सत्याग्रहियों से बातचीत करने को एक अलग कमेटी का निर्माण कर दिया है जिसमें एक से एक घाघ मंत्री शामिल हैं I इन लोगों में इतनी योग्यता है कि सीधी साधी बात को भी इतनी जटिल बना देते हैं कि किसी निर्णय तक पहुँच ही नहीं पाते I
ये सत्य की फुटबाल फुला रहे हैं और वो फुटबाल की हवा निकाल रहे हैं...खेल पूरी ईमानदारी के साथ चालू है I देश तमाशा देख रहा है I सुना है कि दोनों तरफ के खिलाड़ी एक दूसरे पर स्पोंसर्ड होने का आरोप लगा रहे हैं I जनता आशावान है कि कुछ ना कुछ तो होगा ही I ये ऊपर के स्तर पर भ्रष्टाचार सफाई का खेल है I जबकि नीचे के स्तर पर सब कुछ यथावत चल रहा है I फिर भी बाबा लगे पड़े हैं I पहले वो शीर्षशाशन करा रहे थे, अब सत्याशन करा रहे हैं I निश्चित रूप से काला धन वापस आएगा I देश में खुशियों को लाएगा I आम आदमी दोनों टाइम खाना खाएगा, क्योंकि न रहेगा बांस ना बजेगी बांसुरी I
आओ हम सब दिल्ली चलें.............!!!
रविवार, मई 15, 2011
बच्चों के लिए
ब्लैक - मनी
यदि
रोटी खाना चाहते हो ,
वो भी सिर्फ रूखी तो
कमाओ व्हाइट मनी
यदि खाना चाहते हो ,
बटर और हनी ,तो
जमकर कमाओ ब्लैक मनी |
ब्लैक मनी का सीधा सम्बन्ध
होता है लक्ष्मीजी और उलूक से
यानिकी ,
पैसे वालों की भूख से |
उलूक लक्ष्मीजी का ड्राइवर है ,
और घोर अंधकार का लवर है
इसीलिए लक्ष्मीजी को
हमेशा पसंद है -ब्लैक मनी
क्या समझे माई-डियर --हनी |
छोटा -बड़ा ,नेता -अभिनेता ,
जिसे देखो वोही
काला धन कमाने में लगा है ,
रिश्ते बेईमानी हो गए ,सिर्फ
काला धन ही सगा है ...........
मैं पूछता हूँ कि,
क्या बुराई है ,
काला धन कमाने में ,सोचो
मोहनभोग कितना जरूरी है
खाने में |
बाबू !
खाने में रूखी रोटी और पानीदार दाल
कितने दिन खाओगे ,
लक्ष्मींजी को भोग में ,
क्या रूखी रोटी और दाल का
भोग लगाओगे |
मान्यवर ,
काला धन सिर्फ
बुरे लोगों पर ही होता है -
धारणा गलत है ,जनाब !
एक अच्छा आदमी भी
अपनी मेहनत से कर सकता है
इसे हस्तगत |
जब ,खूब धन होगा
तभी तो दान करेंगे ,
आगंतुक का मान-सम्मान करेंगे ,
कोई भी गरीब भूखा नहीं जाएगा ,
हर दुखी हमारे ही
द्वारे आएगा |
मेरे विचार से
काला धन माँ लक्ष्मी का
साक्षात् स्वरुप है ,
सुंदर और अनूप है |
उस दिन
इस देश का सौभाग्य होगा
जब एक रिक्शेवाले का भी
स्विस बैंक में
बैंक एकाउंट होगा
सोचो !
कितना शुभ-दिन होगा !!!
मंगलवार, मार्च 15, 2011
Rajneesh Kumar Singh cartoonist - Delhi: Dr. Rakesh Sharad
Rajneesh Kumar Singh cartoonist - Delhi: Dr. Rakesh Sharad: "Wednesday, February 9, 2011Dr. Rakesh Sharad"
होली तो बस होली है ..............!
|

...ईद मनाते मुसलमान ,
दीवाली को वैश्य भाई
मनाएं छत्रिय दशहरा ,
क्रिसमस को ईसाई |
अलग-अलग त्यौहार मनाते,
भिन्न जाति के लोग ,
कोई तो सजदा करे ,और
कोई चढ़ावे भोग |
सिर्फ एक त्यौहार है ऐसा ,
जिसमें सब हमजोली हैं ,
हिन्दू -मुस्लिम -सिख -ईसाई ,
मिलकर खेलें होली हैं | होली तो ............|
सींग कटा बछड़ों में शामिल ,
बूढ़े भी देवर बन बैठे |
पोले-पोले मुहँ सो बोलें -
भाभी खेलो होली है ..........होली तो ..............|
दिल की उमंग ,नयनों की बोली है ,
प्रेमी की पिचकारी ,
दिलवर की चोली है ,
भाभी की मनुहार ,
देवर की हंसी-ठिठोली है .....होली तो...............|
देखें कहीं और लगे वहीँ ,
नयनों की ऐसी बोली है|
कमसिन जिस्मों की देहरी पर
फागुन ने रची रंगोली है .........होली तो ..............|
होली है प्रेम और मिलाप की ,
उनकी और आपकी |
लड़के और बाप की ,
थोड़े -अनापशनाप की,
पुण्य और पाप की ,
प्रेम-पश्चाताप की
कलह और मिलाप की |
हंसी और विलाप की |
तान और आलाप की .............होली तो ..........|
होली है देवर भाभी की,
ताले और चावी की |
हिंदी और पंजाबी की ,
चंगे और शराबी की ,
फकीरी और नबाबी की ,
सूफी और कबाबी की,
रूप रंग मायावी की, और..
उनके गाल गुलाबी की ...........होली तो ..........|
हमारे पास ,
साहित्य का रंग है ,
कविता की चंग है ,
कलम की पिचकारी में,
व्यंग ही व्यंग है ,...ऊपर से
तुम्हारा जो संग है |
कलाई पर काव्य का कलावा ,
मस्तक पर चुम्बन की रोली है |
मनहूसों को खास रियायत देने को ,
हंसी -ठहाकों की एक दुंका ,
राकेश शरद ने खोली है..........होली तो ...........|
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गुरुवार, नवंबर 04, 2010
दीपावली की हार्दिक शुभकामनायें
दीपावली की हार्दिक शुभकामनायें !
लक्ष्मीजी सीधे आपके घर आयें,
इसके लिए आप उलूक्जी की आरती गायें-
जैसेही उलूक्जी आपके द्वार पर लेण्ड करें
लक्ष्मीजी जी को लोंकर से बेन्ड करें ,
उल्लूजी से साधें अपना उल्लू -
द्वार करें बंद -कहें राम राम ,
रघुपति राघव रजा राम ...........!
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