शुक्रवार, जून 03, 2011


                   दो साल की हुई मृडानी 


प्यारी प्यारी ,सुन्नर - सुन्नर 
ऐसे लगती जैसे बन्नर,
शिमला से आया इक फोन -
सोचा मैंने  -कौन -कौन  ?
बाबा -बाबा .......
मैं हूँ गौरा--सोना रानी
मेरा सुन्दर नाम मृडानी |

 क्या- मेरा बर्डे भूल गए ,
आपको उसमें आना है ,
अम्मा को भी लाना है |
बर्डे कैसे मानोगे .....?
मुझको क्या -क्या लाओगे....?
लड्डू -मठरी खाऊंगा ,
नए-नए कपड़े पहिन कर..
होटल को मैं जाऊंगा |
मैंने पूछा - उससे बेटा
कौन -कौन है आएगा ..?
गौरा बोला -
कृति, आकृति ,कुञ्ज ,निकुंज 
और बहुत से आयेंगे 
गिफ्ट बहुत से लायेंगे |
पापा -मम्मा ,चाचू-अम्मा 
अंकल -आंटी 
साथ में उनके सुन्दर सेंटी  
















फोनों  की लग गयी झड़ी 
सोना सुनकर हुई खड़ी - 
हाथरस से दादा -दादी 
देने लगे प्रेम परसादी ,
दिल्ली से थीं बुआ -अम्मा ,
लेने लगीं फोन पर चुम्मा  |
एक आवाज़  बहुत पहचानी 
सोना के थे नाना -नानी |
थीं, पायल चाची बहुत चियर
उन्होंने भेजा टेड्डी -बियर,
चाची बोलीं -अगली साल , 
मिल कर  हम सब
बर्डे साथ मनाएंगे , 
माल रोड पर ,
खूब धमाल मचाएगे 
सुन्दर गाने गाएँगे ,
शिमला की रिमझिम बारिश में 
जम कर खूब नहाएँगे |


यूपी की भीषण गर्मी से 
बच बचा कर 
किसी तरह से-अम्मा बाबा
 तीस मई को - शिमला आए ,
लेकर सबको साथ में अपने 
संकट -मोचन मंदिर धाए |
दो साल का हो गया बच्चा 
प्यारा -प्यारा ,सीधा -सच्चा |
ईश्वर का आशीष दिलाया 
पंडितजी ने तिलक लगाया ,
फिर गौरा ने ढोक लगायी 
सबने मिल आरती गायी | 


शाम सात बजे
पहुंचे शिमला ,
होटल- ट्रिपल एच पर बोला हमला ,
मिलके सबने काटा केक 
शोर मचाया सबने देख -
हैप्पी बर्डे -हैप्पी बर्डे -डौल मृडानी 
छीना-झपटी केक की मच गई 
होने लगी खूब मनमानी 

एक आँख को मींचे -मींचे 
चाचू ने हैं  फोटो खींचे
बच्चे लगे मचाने शोर 
मेरा फोटो -वंस मोर -वंस मोर |


फिर सबने
मिल  खाया  केक
सिर्फ, एक नहीं बार अनेक |
तरह तरह के व्यंजन खाए ,
बार बार उनको मंगवाए |
रोटी -दाल,कचौरी खाई 
पनीर कोफ्ता और मलाई ,
बिरयानी की  खुशबू भाई | 
पड़-पड़-पड़-पड़ पापड़ बोले
खुशबू दे रहे थे छोले |

अंत में आया रसगुल्ला 
हो गया होटल में हल्ला --
खूब मना है ये मंडे 
हैप्पी -बर्डे --हैप्पी बर्डे -हैप्पी -बर्डे ...........!  


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