रविवार, सितंबर 12, 2010

एक सरप्राइज-पापा को

यदि संस्कार अच्छे हों तो बच्चे भी अच्छे होते हैं |इस बार कुछ ऐसा ही किया बच्चों ने बहु -बेटों ने बहाने बना कर हम दोनों को  अपने पास हिमाचल बुला लिया |तिथि थी 08 -09 -10 हम दोनों से बड़ी मनुहार की कि जरा अच्छे वस्त्र पहनलें , सभी लोगों को मंदिर चलना है |
सभी तैयार हो गये हमसे बोले -जरा दो मिनट सोफे पर बैठें इतने में बहु ने एक बड़ा सा केक लाकर टेबिल पर रख दिया और जोर -जोर से चिल्लाने लगे -हेप्पी बर्डे टू पापाजी -हेप्पी बर्डे टू पापाजी हम पति -पत्नी अचंभित रह गए
इतने में हमारी छोटी सी नतिनी ने केक काटकर हमारी सहायता की  | फिर सभी लोग मंदिर की ओर चढ़ चले |
विश्वविद्यालय के केम्पस में अद्भुत मंदिर बना हुआ है | ईश्वर के दर्शन कर हमें घुमाने के बहाने शिमला की ओर ले चले फिर गाड़ी को निर्जन पहाड़ी की ओर मोड़ दिया थोड़ी देर चलने के बाद एक पहाड़ी पर रोक दिया पता चला
यह "होटल आमोद " है हमने कहा की तुमतो घर पर ही अच्छे व्यंजन बनाने वाले थे ,क्या हुआउस सबका सब बच्चे मिलकर बोले -हमारा सरप्राइज कैसा लगा ? तब अचानक ये दो छक्के -बन गए ---------
                                  आज सुबह से आ  रहे , नए- नए इमेल
                                  खाना पीना और तो , नींद  हो गई फेल |
                                  नींद हो गई फेल ,अलग फुनवा  गुर्रावे ,
                                  कितने  के हो गए, शरदजी सच बतलावें |
                                  भांति- भांति के प्रश्न  मित्रगण पूंछ रहे हें ,
                                  दावत-फावत छोड़ ,हिमाचल घूम रहें हें |     

                                  बच्चों संग मना  रहे   , बर्डे कवी   राकेश  ,
                                  पहुँच हिमाचल वे गए ,छोड़ा प्रश्न -प्रदेश |
                                  छोड़ा  प्रश्न  प्रदेश ,    यहाँ   केवल उत्तर हें ,
                                  हम दोनों  के संग यहाँ ,बहू और पुत्तर हें |
                                  हेप्पी  - बर्डे   आशू ,   चारू    शोर   माचैया  ,
                                  गुडिया -चिड़िया सब मिल नाचें ताता-थैया  | 
                                
                                 

गुरुवार, सितंबर 02, 2010

दोहा -विकास

शोर विकास का हो रहा ढूँडो कहाँ विकास ,
खेत जमीनें छिन रहीं ,मजे ले रहे   खास |

पोखर     नेता  ले   उड़े , टीले       ठेकेदार,
लूटमार के दौर में , हो रहि    मारम्मार |

दोहा

जेलों में जो बंद हैं , भले लोग कहलाएँ ,
भगवा आतंकी हुआ , ये आतंक फैलाय  |

सोमवार, अगस्त 09, 2010

खेल खेल में कर गए ,देखो कैसा खेल ,
भ्रस्टाचार के आ रहे  ,नित्य नए ईमेल

रविवार, जुलाई 11, 2010

दोहा - सास-बहू

 सास बहू  से  कह रही  ,क्यों  पहिने  ये पेंट , 
साडी   का  फैशन  गया , लगे  पेन्ट  डीसेंट  |

सासू  माँ की  बात को ,बहु ने किया  रिजेक्ट ,
थैली  का  आंटा  सदा   , होता है    परफेक्ट |

सासूजी   हतप्रभ   हुई   ,सुन   बहुजी   की   राय ,
घंटी  पूजा  की   बजे     , नींद   टूट    है      जाय  |

सास   बनाती  बेड  -टी  , खोल  बहू     तू     गेट ,
नों    सुबह   के  बज    गए , आफिस   होगी  लेट  |

सास -बहू    तकरार   का  ,   समाधान  है    एक ,
माँ  बेटी   बनकर  रहें  ,  रक्खें  सदा    विवेक    |

सोमवार, मई 31, 2010

चिरिया का पहला बर्थडे

वो बहुत छोटी है
एक सौनचिरैया की मानिंद
प्यारी प्यारी सी
इन्द्रधनुसीय रंगों से भरी
भिन्न भिन्न मुद्राओं की किलकारी सी
रेशम जैसी कोमल
नटखट चितवन , निर्मल मन की
मेरी चिड़िया है

यहाँ एक राज है
चिड़िया मेरे बेटे की बेटी है
यानिकी मेरा मूल धन नहीं
अपितु व्याज है |
 मेरी यह व्याज एक बिटिया है
इसका मुझे नाज है |

मुझे पता ही नहीं चला कि,
कब वो एक साल कि हो गई ,
शायद तभी बुजुर्गों ने कहा है कि ,
बेटियां कब बड़ी हो जाती हैं ,
पता नहीं चलता |
मेरी ये चिड़िया ,
हिमाचल कि बेटी है ,
मेरे गुरुदेव का आशीर्वाद है ,
प्रथ्वी पर प्रकृति का प्रसाद है |

वाकनाघाट की सुरम्य वादियों में ,
हिमाचल की ऊँची- ऊँची पहाड़ियों में ,
शीतल हवाओं के झोकों के बीच
चीड़ के ऊँचे ऊँचे ब्रक्षों से घिरी
हिमाचली लताओं से लिपटी
एक काटेज में ,
हम सबने अपनी चिड़िया का
पहला जन्मदिन ,
जिसमें बाबा,अम्मा ,पापा ,मम्मा ,चाचा ,मौसी ,अडौसी-पडौसी
सबके -सबके  साथ थे ,
हँसते गाते मनाया |

बुधवार, अप्रैल 28, 2010

भ्रस्टाचार एक आभूषण

गाँधी की  धरती  पर बैठ  कर इतनी  ईमानदारी  ऐसी  बात नहीं  कि सरकार केतन देसाई  साहब को नहीं  जानती थी |
जानती  तो थी लेकिन उसकी निगाह में  इतना ईमानदार  बेईमान  अफसर  और कोई नहीं  दिखा ,जो बईमानी के पैसे
को इतनी ईमानदारी से बन्दर -बाँट  कर सके  ........|